Search
Close this search box.
Search
Close this search box.

अंग कोकिला परमानंद पांडे की जयंती समारोह अंग कोकिला “बोली” को “भाषा” के रूप में प्रतिष्ठित किया पांडे जी ने – अनिल सुलभ

पटना : परमानंद पांडे हिंदी साहित्य में एक बड़ा योगदान है उन्होंने अंग प्रदेश में बोली जाने वाली को भाषा के रूप में प्रतिष्ठा दिलवाई है परमानन्द पाण्डेय को ‘अंगिका’ में वही स्थान प्राप्त है, जो खड़ीबोली में भारतेन्दु का है। इन्हें अंगिका का ‘पाणिनि’ कहना भी अतिशयोक्ति नहीं है। पाण्डेय जी ने इसे संजीवनी दी और उत्कर्ष तक पहुँचाया। सच्चे अर्थों में वे अंगिका के ‘दधीचि’ थे । उनका संपूर्ण जीवन एक संत-ऋषि की भाँति साहित्य और समाज की सेवा में व्यतीत हुआ।
यह बातें बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में अंग-कोकिल परमानन्द पाण्डेय की जयंती पर आयोजित समारोह और कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही।

अंगिका का व्याकरण लिखा परमानंद पांडे ने -अनिल सुलभ

डा .सुलभ ने कहा कि पाण्डेय जी ने अंगिका का व्याकरण लिखा। ‘अंगिका का भाषा वैज्ञानिक अध्ययन’, सात सौ पृष्ठों में लिखा गया उनका महान ग्रंथ है। वे संस्कृत और हिन्दी के भी मनीषी विद्वान थे।

समारोह में विधान पार्षद डॉ.राजवर्धन आजाद ने कहा कि परमानंद पांडे अपना सारा जीवन साहित्य के लिए दिया

जयंती समारोह कार्यक्रम में बताओ मुख्य अतिथि विधान पार्षद सदस्य डॉक्टर राजवर्धन आजाद ने कहा कि महाकवि परमानन्द पाण्डेय जैसे कवियों ने देश और साहित्य के लिए अपना सारा जीवन अर्पित किया। साहित्य, जिसका अर्थ ही सबका हित करना है, समाज में प्राण और ऊर्जा भरता है।

इस अवसर पर डा परमानंद पाण्डेय के सुपुत्र और कवि ओम् प्रकाश पाण्डेय’प्रकाश’, प्रो आनन्द मूर्ति और डाॅ अंजनी राज ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर कवि-सम्मेलन का भी आयोजन किया गया ।
इस अवसर पर कामिनी,अवनीत कुमार ,राजू राज ,अमित कुमार ,वेद प्रकाश सहित कई साहित्य प्रेमी भी मौजूद थे ।

पटना से अमित कुमार की रिपोर्ट

विज्ञापन
0
0

Leave a Comment

Share this post:

खबरें और भी हैं...

लाइव क्रिकट स्कोर

Weather Data Source: wetter morgen Delhi

राशिफल