पटना: आज छठ पर्व का तीसरा दिन है आस्ताचलगामी सूर्य नारायण को संध्याकालीन अर्ध्य का समय 5:22 तक है। महापर्व के तीसरे दिन छठव्रती भगवान भास्कर को जल में प्रवेश कर अर्ध्य देती हैं।
पुरानी मान्यता के अनुसार छठ पर्व की शुरुआत बिहार के मुंगेर जिले से हुई है
पुरानी ग्रंथ में मान्यता है कि छठ पर्व की शुरुआत बिहार के मुंगेर जिले से हुई है ।छठ का इतिहास बिहार से जुड़ा है द्रोपती ने अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य और बेहतर जीवन के लिए छठ का व्रत रखा था।
एक मान्यता और भी है जब पांडव सारा राजपाट जुए में हार गए तब द्रोपती ने छठ व्रत रखा था । छठ पर्व के बाद उनकी मनोकामना पूरी हुई और पांडवों को जुए में हर सारा राजपाट युद्ध के उपरांत वापस मिल गया। इस व्रत में द्रोपती ने सूर्य पूजा और छठ मैया की आराधना की थी।
माता सीता और भगवान श्री राम ने भी अस्तलचलगामी भगवान सूर्य नारायण की उपासना की थी
पौराणिक मन्नताओं के अनुसार माता सीता और भगवान श्री राम ने भी भगवान भास्कर की उपासना की थी ।ऐसी मानता है कि रामराज्य की स्थापना के लिए कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पष्ठी को उपवास रखा था और सूर्य देव की पूजा की थी इसीलिए छठ के महापर्व पर माताएं और सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और पूरे परिवार के स्वास्थ्य लाभ के लिए भगवान भास्कर से आराधना करती है।