पटना: पुलिस का एक बार फिर अमानवीय चेहरा सामने आया है आपको शायद याद होगा इससे पहले मुख्यमंत्री का काफिला वैशाली की ओर जा रहा था तो मरीन ड्राइव पुल पर पुलिस कर्मियों द्वारा एक एंबुलेंस को रोका गया था इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि इस घटना के बाद अब एंबुलेंस सेवा को नहीं रोका जाएगा और मरीन ड्राइव पर दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई भी की जाएगी
आश्वासन केवल आश्वासन रहा फिर पटना पुलिस द्वारा वही गलती दोहराई गई रोका गया 1 घंटे तक एंबुलेंस सेवा मासूम की जिंदगी खतरे में
कहावत है वादे तो वादे हैं वादों का क्या पटना पुलिस के लिए यह पंक्ति उपयुक्त नजर आ रही है बड़े अफसर द्वारा एंबुलेंस सेवा को नहीं रोकने की जो बातें कही गई थी वह केवल बातें ही रह गई और उनके गलती के कारण फिर एक मासूम की जिंदगी खतरे में पड़ गई .
पटना पुलिस का अमानवीय चेहरा
पटना पुलिस का अमानवीय चेहरा का एक बार फिर देखने को मिला है. जहां मुख्यमंत्री के काफिले को जाने के लिए पुलिस ने जिंदगी मौत से जूझ रहे मासूम के एंबुलेंस को करीब 1 घंटे तक रोक दिया. मासूम एंबुलेंस में काफी देर तक बेहोश रहा और उसकी मां रोते रही.
परिजन रोते रहे पर पुलिस नहीं मानी
पटना से सटे फतुहा थाना क्षेत्र स्थित आर ओ बी के पास का है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नालंदा के इथनॉल फैक्ट्री का उद्घाटन कर वापस पटना लौट रहे थे. पटना पुलिस ने मुख्यमंत्री के काफीला को जाने के लिए सभी गाड़ियों को रोक दिया जिसमें एक एंबुलेंस करीब 1 घंटे तक फंसा रहा, उस एंबुलेंस में एक मासूम सवार था जो जिंदगी मौत से जूझ रहा था. एंबुलेंस ड्राइवर ने बताया कि फतुहा के एक निजी अस्पताल से उस बच्चों को लेकर पटना के अस्पताल में ले जा रहे थे लेकिन पुलिस ने मुख्यमंत्री के काफिले को लेकर रोक दिया है, उसने कहा भी की इसमें इमरजेंसी पेशेंट है लेकिन पुलिस ने नहीं माना और एंबुलेंस को रोक दिया. एंबुलेंस में सवार मासूम की स्थिति और मासूम के मां के चेहरा और उसकी आंखों से गिर रहे आंसू को देखकर भी पटना पुलिस को तरस नहीं आई और कानून को ठेंगा दिखाते हुए सभी गाड़ियों सहित एंबुलेंस को भी रोके रखा
पटना से अमित कुमार की