पटना: चश्में और कॉन्टैक्ट लेंस पर निर्भरता को खत्म करने के लिए लेजर दृष्टि सुधार अबतक का सबसे अच्छा विकल्प है. आपके कॉर्निया का आकार आपकी आंखों की शक्ति को दर्शाता है. आपको मायोपिया, हाइपरमेट्रोपिया या दृष्टिवैष्म्य हो सकती है, यह इस बात भी निर्भर करता है आप जिस वस्तु को देखते हैं उससे प्रकाश आपकी आंखों के अंदर केंद्रित हो जाता है. इसलिए लेजर दृष्टि सुधार सर्जरी आपकी आकृति कॉर्निया इस तरह से बदल दिया जाता है. यह बाते पद्मश्री डॉ. विपिन बख्शी ने कही.
दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन
राजधानी पटना के बिहार ऑप्टोमेट्री संघ की ओर से आयोजित दो दिवसीय वार्षिक ऑप्टोमेट्री कांफ्रेंस कंट्रास्ट 2.0 के मौके पर अपने संबोधन में डॉ बख्शी ने कहा कि दिन प्रतिदिन नई नई तकनीक का विकास हो रहा है. इसे हर लोगों तक पहुंचाने के लिए ऐसे कॉफ्रेंस की ज्यादा जरूरत है. साथ ही उन्होंने कहा कि आज आंखों के दुश्मन हम स्वयं हो गए है. लोगों ने शारीरिक परिश्रम कम कर स्क्रीन टाइम को ज्यादा समय देना शुरू कर दिया है. चिंता का विषय तो बच्चों को लेकर है.
मोबाइल ज्यादा देखने से छोटे बच्चों को भी लग रहा हैं चश्मा
तीन साल का बच्चा —वन का चश्मा लगाएगा तो पंद्रह से 16 की उम्र में उनकी क्या हालात होगी यह विचारनीय प्रश्न बन गया है.
करीब 300 से ज्यादा चिकित्सकों ने लिया हिस्सा
बिहार ऑप्टोमेट्री एसोसिएशन ऑफ बिहार के अध्यक्ष पंकज सिन्हा ने कहा कि इस सेमीनार में करीब तीन सौ से अधिक आप्टोमेट्रिस्ट्स, आखों के विशेषज्ञ, ऑप्टिकल विजन साइंटिस्ट, चिकित्सक और अन्य स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों ने हिस्सा लिया
दो दिन के कॉन्फ्रेंस में आंखों की बीमारियों के प्रिवेंशन पर गहन चर्चा चर्चा हुई. पहले दिन विशेषज्ञों ने कहा कि दूसरे देशों में बीमारियों की रोकथाम (प्रिवेंशन) पर काफी काम होता है. हमें भी इलाज के साथ बीमारी न हो इस पर भी काम करना होगा. इससे पहले कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ बिहार यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस के फाउंडर वाइस चांसलर डॉ. एसएन सिन्हा, पालीगंज के एमएलए डॉ. संदीप सौरव, पद्मश्री विपिन बख्सी, एमएलए जहानाबाद कुमार कृष्णमोहन ने संयुक्त रूप दीप प्रज्जवलित कर किया.
पटना से अमित कुमार की रिपोर्ट
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