बलात्कार बलात्कार ही होता है, भले ही करने वाला पुरुष पति ही क्यों न हो: कर्नाटक उच्च न्यायालय
मैरिटल रेप के एक मामले पर सुनवाई करते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा ही कि बलात्कार बलात्कार ही होता है, भले ही करने वाला पुरुष पति ही क्यों न हो.

मैरिटल रेप के एक मामले पर सुनवाई करते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा ही कि बलात्कार बलात्कार ही होता है, भले ही करने वाला पुरुष पति ही क्यों न हो.
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने आगे कहा कि एक व्यक्ति केवल इसलिए बलात्कार के मुकदमे से बच नहीं सकता क्योंकि पीड़िता उसकी पत्नी है. कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 के तहत मिले अपवाद के बावजूद पति के खिलाफ बलात्कार के आरोप मानते हुए कहा कि विवाह संस्था किसी महिला पर हमला करने के लिए पुरुष को कोई विशेषाधिकार या क्रूरता का लाइसेंस नहीं दे सकती है. अगर यह किसी पुरुष के लिए दंडनीय है तो यह हर पुरुष के लिए दंडनीय होना चाहिए भले ही वह पति ही क्यों न हो.
गौरतलब है कि अदालत एक ऐसे शख्स की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसके खिलाफ पुलिस ने बलात्कार सहित कई अपराधों के लिए आरोपपत्र दायर किया था. जस्टिस एम. नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने याचिकाकर्ता पति के खिलाफ बलात्कार के आरोप को हटाने से इनकार करते हुए कहा सदियों पुरानी उस घिसी-पिटी सोच को मिटा दिया जाना चाहिए कि पति अपनी पत्नी के शासक हैं, उनके शरीर, मन और आत्मा के मालिक है.