एसटी-एससी को बैंकों से ऋण देने में आ रही कमी, ऋण बढ़ाने की दिशा में हेमंत सरकार

सीएम का बैंकों को स्पष्ट निर्देश, एसटी-एससी वर्ग के लोगों को आसानी से ऋण देने की दिशा में काम करें

रांची : झारखंड के अनुसूचित जनजाति (एसटी) अनुसूचित जाति (एससी) लोगों को बैंको द्वारा ऋण दिए जाने में भेदभाव किया जाता रहा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी इस बात को भलीभांति जानते हैं। बीते 13 दिसंबर 2021 को सीएम ने ऋण मिलने में आ रही कठिनाईयों को दूर करने के लिए उच्चस्तरीय बैठक की थी। बैठक में उन्होंने बैंकों को स्पष्ट निर्देश दिया था कि एसटी-एससी वर्ग के लोगों को आसानी से ऋण देने की दिशा में काम करें। आंकड़ों को देखें तो इन वर्गों को बैंकों द्वारा ऋण दिए जाने में कमी आई है।

2020-21 की तुलना में 2021-22 में ऋण देने में आई है कमी

वित्तीय वर्ष 2020-21 के आंकड़ों को देखें तो 30 सितंबर 2020 को समाप्त तिमाही में राज्य का कुल ग्रॉस क्रेडिट 94,493 करोड़ रुपए था। इसमें से एसटी-एससी वर्ग को 10464 करोड़ (कुल ऋण का 11.07 प्रतिशत) ऋण दिया गया, वहीं वित्तीय वर्ष 2021-22 में 30 सितंबर 2021 को कुल ग्रॉस क्रेडिट 84,473 करोड़ रुपए था। इसमें एसटी-एससी वर्ग को 7196 करोड़ (कुल ऋण का 8.75 प्रतिशत) ऋण दिया गया, यानि कुल ग्रॉस क्रेडिट और एसटी-एससी को दिए जानेवाले ऋण में कमी आई। बता दें कि आरबीआई ने अपने कुल ऋण का 40 प्रतिशत प्राथमिकता क्षेत्र और ‘कमजोर वर्ग के लोगों (प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग)’ को कुल ऋण का 11 प्रतिशत देने का लक्ष्य रखा है। एसटी-एससी वर्ग का ऋण ‘कमजोर वर्ग’ समूह में शामिल है।

सरकार के स्तर पर किया जा रहा हरसंभव प्रयास

– एसटी-एससी वर्ग को बैंकों से ऋण मिलने में आसानी हो, इसके लिए राज्यस्तरीय बैंक समिति से भी सरकार द्वारा स्पष्टीकरण मांगा गया है 11 फरवरी 2022 को वित्त विभाग द्वारा राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग से इस बाबत कार्यवाही करने की मांग की ग है
– 23 दिसंबर 2021 को जनजातीय सलाहकार परिषद की बैठक में निर्णय हुआ है कि एसटी को ऋण लेने में सीएनटी और एसपीटी एक्ट बाधा नहीं बनेगा जमीन की खरीद-बिक्री पर रोकने के कारण अनुसूचित जनजाति वर्ग को ऋण (शिक्षा ऋण, गृह ऋण, कृषि ऋण तथा अन्य ऋण) लेने में आ रही कठिनाइयों के मद्देनजर पूर्व मंत्री सह टीएसी की उप समिति के अध्यक्ष स्टीफन मरांडी ने निर्णय लिय़ा है कि झारखंड के निकटवर्ती तथा आदिवासी बाहुल्य राज्यों का भ्रमण कर वहां के आदिवासियों को बैंकों द्वारा सुलभतापूर्वक उपलब्ध कराए जा रहे ऋण के संबंध में गहन अध्ययन किया जाएगा

– 21 जनवरी 2022 को वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव की अध्यक्षता में सभी बैंकों के साथ वित्तीय ऋण योजना की समीक्षा की ग थी समीक्षा में प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग में ऋण प्रवाह बढ़ाने का निर्देश दिया गया

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