चार हजार पेंशन बकाए को लेकर बिहार से तकरार का प्लांट फिर हो रहा है तैयार
10 अप्रैल को होने जा रही पूर्वी क्षेत्रीय अंतर्राज्यीय परिषद की बैठक में यह मामला बिहार की ओर से उठाया जाएगा

रांची : झारखंड सरकार के पास पेंशन के बकाए चार हजार करोड़ रुपए को लेकर बिहार से तकरार का प्लांट एकबार फिर तैयार हो गया है। आगामी 10 अप्रैल को होने जा रही पूर्वी क्षेत्रीय अंतर्राज्यीय परिषद की बैठक में यह मामला बिहार की ओर से उठाया जाएगा। बिहार सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को इसकी जानकारी दे दी है। झारखंड की ओर से इसे देने से लगातार आनाकानी की जा रही है। पूर्वी क्षेत्रीय अंतरराज्यीय परिषद की बैठक में बिहार-झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के शीर्ष प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। साल 2000 में अलग झारखंड के निर्माण के लिए बिहार पुनर्गठन अधिनियम संसद में पारित किया गया था। इसके तहत कर्मचारियों के पेंशन दायित्व का बंटवारा बिहार और झारखंड के बीच 2:1 अनुपात में करना था। यानी पेंशन पर होनेवाले कुल खर्च का दो तिहाई बिहार सरकार को और एक तिहाई झारखंड सरकार को वहन करना था। इसे दोनों राज्यों के उस समय के क्षेत्रफल के आधार पर तय किया गया था। यह व्यवस्था 2020-21 तक के लिए बनाई गई थी। कुछ साल पहले झारखंड ने यह कहना शुरू किया कि वह पेंशन दायित्व का बंटवारा क्षेत्रफल के अनुपात की जगह आबादी के अनुपात में करेगा। झारखंड ने इसके लिए 3:1 का फॉर्मूला अपनाने की मांग की। इस आधार पर पिछले तीन सालों से पेंशन की कोई रकम नहीं दी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देने की बात कर रहा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इसपर कोई रोक नहीं लगाई है। पिछले दिनों केंद्र सरकार की ओर से भी झारखंड को बिहार को पेंशन की तय हिस्सेदारी अदा करने के लिए कहा गया।