झारखंड की राजनीति ले सकती है करवट, प्रदेश कांग्रेस का चिंतन शिविर दे गया संकेत
कांग्रेस का वोट बैंक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा में शिफ्ट करना चाहते हैं : बन्ना गुप्ता

झारखंड की राजनीति ले सकती है करवट, प्रदेश कांग्रेस का चिंतन शिविर दे गया संकेत
रांची : झारखंड की राजनीति करवट ले सकती है। गिरिडीह में हुए कांग्रेस का चिंतन शिविर इसका संकेत दे गया है। इसकी चर्चा सत्ता के गलियारों में भी जोरों पर है। सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता के एक बयान ने झकझोर कर रख दिया है। बन्ना ने कहा कि कांग्रेस का वोट बैंक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा में शिफ्ट करना चाहते हैं। उन्होंने एक मशहूर गीत का भी सहारा लिया, माझी जब नाव डुबोए उसे कौन बचाए। इधर, शिविवर में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए हेमंत सरकार में शामिल मंत्रियों के पेंच कसे। यहां तक कह डाला कि कार्यकर्ता इस बात का निर्धारण करेंगे कि वे मंत्री के पद पर रहेंगे या नहीं। कांग्रेस को यह बात भी खल रही है कि सरकार में एक तरह से किनारा कर दिया गया है। सरकार एकतरफा फैसले ले रही है। इसका घाटा भविष्य में उठाना पड़ सकता है, लिहाजा चिंतन शिविर के माध्यम से कांग्रेस ने अपने राजनीतिक दोस्त झारखंड मुक्ति मोर्चा को यह संदेश देने की कोशिश की है कि अब रिश्ता एकतरफा नहीं चलेगा। यानी सत्ता से जुड़े विषयों और नीतिगत फैसलों में पार्टी की राय लेनी होगी। 25 फरवरी से आरंभ हो रहे बजट सत्र के पहले कांग्रेस विधायक दल ने अपनी अलग बैठक कर ली। फिलहाल सरकार की स्थिरता को कोई संकट नहीं दिखता, लेकिन कांग्रेस के भीतर पैदा हुए असंतोष का फायदा भाजपा-आजसू गठबंधन उठा सकता है। कांग्रेस कभी नहीं चाहेगी कि झारखंड में सत्ता की चाबी उसके हाथ से निकले। इसके लिए आवश्यक है कि वह महत्वाकांक्षी नेताओं पर अंकुश लगाए और बड़े पैमाने पर दल के भीतर होनेवाली गुटबाजी को भी समाप्त करे। चिंतन शिविर के अंतिम दिन कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी स्पष्ट संदेश दिया है कि कार्यकर्ता उनके लिए सबसे ऊपर हैं। हालांकि यह सुनने में तो अच्छा लगता है, लेकिन धरातल पर उतारना टेढ़ी खीर है।