बजट सत्र : विस में आर्थिक सर्वेक्षण रिर्पोट पेश, लाकडाउन के कारण झारखंड के विकास दर में आई गिरावट

राज्य में 46 फीसदी लोग हैं गरीब 

रांची : झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने आर्थिक सर्वेक्षण रिर्पोट पेश किया। बताया कि झारखंड का जीएसडीपी देश के सकल घरेलू उत्पाद के दो प्रतिशत से भी कम है। पिछले दो वर्षों में विकास दर में गिरावट आई है। कोरोना संक्रमण के कारण जारी लाकडाउन में कृषि, वानिकी, मछली पकड़ने, बिजली गैस, जल आपूर्ति को छोड़कर अन्य क्षेत्र के उत्पादन मूल्य में संकुचन की बात सामने आई है। वहीं राज्य में 46 फीसदी लोग गरीब हैं। वित्तीय वर्ष 2019-20 में 13.9 फीसदी और 2020–21 में 4.3 फीसदी की कमी आयी है। इसमें 2019-20 में आर्थिक मंदी और 2020-21 में कोविड-19 महामारी के कारण केंद्रीय करों में राज्य के हिस्सेदारी में कमी आने के कारण हुई है।

राज्य में 46 फीसदी लोग हैं गरीब 

रिपोर्ट में नीति आयोग की जारी नेशनल मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स बेसलाइन रिपोर्ट का भी जिक्र किया गया है। इसके मुताबिक राज्य में 46 फीसदी लोग गरीब है। ग्रामीण क्षेत्रों में बहुआयामी गरीबों का प्रतिशत 50.3 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में यह 15.26 फीसदी है। ना केवल ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच, बल्कि विभिन्न जिलों में भी गरीबों की घटनाओं में व्यापक असमानता है।

केंद्रीय करों में कम मिला राज्य का हिस्सा

रिर्पोट में कहा गया है कि पिछले वर्षों की तुलना में केंद्रीय करों में राज्य के हिस्से में वित्तीय वर्ष 2019-20 में लगभग 3314 करोड रुपए और वित्तीय वर्ष 2020-21 में 880.8 करोड़ कम मिला है। इन दो वर्षों में 14.4% की समान वार्षिक दर से बढ़ता तो राज्य को इन 2 वर्षों में क्रमशः 27,349 और 31,287 करोड़ रुपए मिलते। इस प्रकार राज्य को रुपए के संभावित राजस्व में नुकसान हुआ है।

वास्तविक जीएसडीपी में 8.8 फीसदी की वृद्धि दर्ज होने का अनुमान

रिर्पोट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 में वास्तविक जीएसडीपी में 8.8 फीसदी की वृद्धि दर्ज होने का अनुमान है। राज्य की जीएसडीपी अपने गठन के पहले 5 वर्ष में (1999- 2000 और 2004-2005) के बीच फीसदी औसत वार्षिक दर से बढ़ी। फिर 2004-2005 और 2011 के बीच 6.6 फीसदी की दर से बढ़ी। 2011-12 और 2018-19 के बीच यह दर 6.2 फीसदी थी। 2011-12 की कीमतों पर, राज्य का जीएसडीपी वर्ष 2018-19 में 22,9274 करोड़ रुपए था। इसी तरह राज्य की अर्थव्यवस्था के तीन प्रमुख क्षेत्रों में 2011-12 और 2019-20 के बीच की अवधि में सबसे तेज दर से बढ़ा है, जबकि प्राथमिक क्षेत्र में 1.9 फीसदी की औसत वार्षिक दर और द्वितीयक क्षेत्र में 6.3 फीसदी की दर से वृद्धि हुई है। इस अवधि में तृतीय क्षेत्र में 7.7 फीसदी की दर से बढ़ोतरी देखने को मिली है।

शिक्षा में 36 फीसदी की वृद्धि हुई

पिछले 20 वर्षों में इसमें लगभग 36 फीसदी की वृद्धि हुई है। राज्य गठन के समय यहां केवल लगभग 53 फीसदी आबादी साक्षर थी, यह आंकड़ा 2019-20 में लगभग 73 फीसदी तक पहुंच गया है। इस प्रकार झारखंड की साक्षरता दर में पिछले 20 वर्षों में लगभग 36 फीसदी की वृद्धि हुई है।

क्या है परंपरा

परंपरा के अनुसार, बजट पेश करने से पहले सदन में सरकार आर्थिक सर्वेक्षण पेश करती है। इसमें आनेवाले बजट की झलक भी नजर आती है। इससे पता चलता है कि सरकार बजट में क्या-क्या करने वाली है। प्रदेश की आर्थिक स्थिति कैसी है। किन योजनाओं पर सरकार अगले वर्ष विशेष रूप से काम करने वाली है।

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