अपनी ही पार्टी की सरकार से बोले लोबिन हेंब्रम, अप्रैल तक लागू हो 1932 का खतियान अन्यथा सड़क पर उतरेंगे
हेमंत सरकार हरहाल में 1932 के खतियान पर आधारित नीतियों को लागू करेगी : जगरनाथ

रांची : 1932 का खतियान हरहाल में लागू किए जाने का मसला राज्य में लगातार गरमा रहा है। आजसू पार्टी और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता इस मसले पर लगातार फ्रंट फूट पर खेलने में सामने आने लगे हैं। झामुमो के नेता तो अब इसे लेकर सरकार पर दबाव बनाने में लग गए हैं। मंत्री जगरनाथ महतो और वरिष्ठ विधायक लोबिन हेंब्रम इस मसले पर मुखर हैं। 12 मार्च को दोनों ने अलग-अलग कार्यक्रमों में 1932 के खतियान को राज्य में लागू किए जाने का भरोसा अपने समर्थकों और लोगों को दिया। जगरनाथ ने डुमरी गिरिडीह में एक प्रोग्राम में कहा कि 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति हरहाल में लागू होगी, जो लोग इस मुद्दे पर आंदोलन कर रहे हैं, उन्हीं लोगों ने 1932 के आंदोलन को बर्बाद किया है। पाकुड़ में लोबिन हेंब्रम ने कहा कि 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नियोजन नीति लागू नहीं की गई तो इसका परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने तो खतियान पर नीति तय करने के संबंध में बकायदा अप्रैल माह के आखिर तक का अल्टीमेटम भी जारी कर दिया है।
आजसू पार्टी दे रही धोखा : जगरनाथ
जगरनाथ महतो ने डुमरी में सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी सहित आजसू पार्टी की नीयत पर सवाल उठाए है। उन्होंने कहा कि रघुवर सरकार के कार्यकाल में 1985 को आधार मानकर स्थानीय नीति लागू की गई थी। सांसद चौधरी ने इसे ऐतिहासिक बताकर आतिशबाजी की थी। अब उन्हें 1932 का खतियान याद आ रहा है। हेमंत सरकार हरहाल में 1932 के खतियान पर आधारित नीतियों को लागू करेगी।
स्थानीयता की परिभाषा तय करना जरूरी : लोबिन
महेशपुर प्रखंड पाकुड़ में आदिवासी-मूलवासी खतियानी महासभा की ओर से पांच सूत्री मांगों को लेकर जनसभा का आयोजन किया गया था। इसमें लोबिन हेम्ब्रम ने कहा कि पूर्व की सरकार हो या फिर वर्तमान हेमंत की सरकार, दोनों ने स्थानीय नियोजन नीति लागू नहीं की। विधानसभा सत्र में उन्होंने इस मामले को प्रमुखता से उठाया है। यहां का स्थानीय कौन है, इसे परिभाषित करने में सरकार अबतक नाकाम साबित हुई है। बाहरी लोगों को नौकरी और रोजगार का मौका सरकार दे रही है। समय रहते राज्य सरकार ने अपनी नियत और नीति नहीं बदली तो आनेवाले दिनों में जनता सरकार को उखाड़ फेंकेगी। तृतीय और चतुर्थवर्गीय नौकरी में केवल स्थानीय लोगों को प्राथमिकता मिले। यह झारखंड में रहने वाले लोगों का वाजिब हक है। आदिवासी हो या गैर आदिवासी या खतियानी रैयत, उन्हें वाजिब हक नहीं मिल रहा है। आगामी अप्रैल के बाद पूरे संथाल परगना प्रमंडल में स्थानीय नियोजन नीति को लागू करने, बाहरी भाषा को क्षेत्रीय भाषा की सूची से हटाने, 1932 का खतियान लागू करने, पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों का अनुपालन कराने और पेसा एक्ट 1996 की नियमावली को जल्द तैयार करने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया जाएगा।