नयी नीति बनने तक 2016 की स्थानीय नीति लागू है : मंत्री आलमगीर

1932 के बाद 1964 तक खतियान बना है

रांची : स्थानीय नीति के मामले पर एकबार फिर सदन उलझा। विधानसभा में सोमवार को  सदन में विधायक सरयू राय ने जानना चाहा कि क्या सरकार स्थानीय नीति के लिए 1932 के खतियान के आधार बनाना चाहती है। उन्होंने यह भी जानना चाहा कि पूर्व की सरकार ने स्थानीय नीति 2016 में तय की थी। उसमें संसोधन भी किया है, जो वर्तमान सरकार को स्वीकार नहीं है। प्रश्नकाल के दौरान विधायक सरयू राय ने कहा कि सरकार 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नियुक्ति करनी चाहती है या नहीं। क्या अभी पूरानी स्थानीय नीति लागू है या नहीं। पहले जो स्थानीय नीति है उसमें संसोधन किया जाएगा या नहीं। विधायक सुदेश कुमार महतो ने कहा कि केवल सरकार यह बताए कि 1932 के आधार पर स्थानीय नीति लागू होगी या नहीं। त्रिस्तरीय समिति बनेगी तो कब तक बनेगी। विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि उत्तर स्पष्ट है। हम यह नहीं कर रही है कि 1932 के आधार पर लागू नहीं करेगी, हां सरकार को एक समय सीमा के अंदर इसका निदान करना चाहिए। इसका जवाब देते हुए मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि 2016 कार्मिक विभाग द्वारा जारी संकल्प के आधार पर ही जो नीति है वही चल रही है। जहां तक 1932 का मामला है, उसको लेकर मुख्यमंत्री ने स्पष्ट जवाब दे दिया है। सरकार सभी चीजों को देखकर जो झारखंड के हित में बेहतर होगी। मंत्री ने कहा कि नियोजन नीति में 1932 के खतियान का उल्लेख है। 1932 के बाद 1964 तक खतियान बना है। सभी जिला में एक समय पर नहीं हुआ। 1974 में भी खतियान बना। जिलावार देखेंगे तब भी सरकार कुछ तय करेगी। जबतक कोई नीति तय नहीं हो जाती है तबतक 2016 की स्थानीय नीति लागू है। संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि 1932 का खतियान तो रहेगा ही, लेकिन सरकार 1964 और 1974 में हुए सर्वे की भी समीक्षा कर रही है। उन्होंने कहा कि अभी 2016 की स्थानीय नीति चल रही है, सरकार बहुत जल्द नई स्थानीय नीति लाएगी, इसके लिए त्रिस्तरीय मंत्रिमंडलीय उपसमिति के गठन का मामला सरकार के समक्ष विचाराधीन है। राज्य सरकार ने इस मामले में यह भी बताया है कि राज्य सरकार की ओर से स्थानीय व्यक्ति के संबंध में झारखंड हाईकोर्ट में दो जनहित याचिका WP (PIL, 4056/2002, 3912/2002) डाली गई थी। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय खंडपीठ ने सुनवाई के बाद 27.11.2002 को निरस्त कर दिया। स्थानीय नीति को पुनः परिभाषित करने तथा स्थानीय व्यक्ति की पहचान के लिए दिशा-निदेश गठित करने के मामले में सरकार को फैसला लेने को कहा। फिलहाल राज्य में 2016 में जारी स्थानीय निवासी संबंधी संकल्प लागू है। सरकार अब इसकी समीक्षा करने को त्रि स्तरीय समिति बनाएंगी।

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